Nojoto: Largest Storytelling Platform

↘ शब्दों के तीर ↙ शब्द ही चुभोते हैं नश्तर

 ↘ शब्दों के तीर ↙ 

शब्द  ही  चुभोते  हैं  नश्तर , शब्द ही बन जाते हैं दवा,
बोलने   से   पहले   सोचिए  एक  बार  नही ,कई दफा,

जुड़ जाते हैं कई  टूटे रिश्ते ,शब्दों की मधुर आवाज से,
कर   देते  हैं  आघात  कभी  ,ये  अपने  कटु अंदाज़ से,

कभी  दे   जाते  हैं  कई  अर्थ  कभी अनर्थ कर जाते हैं,
शब्दों  के  व्यंग्य  बाण  ,हृदय  को  ज़ख्मी  कर जाते हैं,

जब  नही   दिखा   पाते  हैं हम ,कभी हिय की पीर को,
सोच  समझ  कर  छोड़िए ,  तब   शब्दों  के   तीर   को,

सितारे भी  प्रतिकूल  बने , जब मन आहत हो शब्दो से,
दुश्मन भी  मनमीत बनें , ये   खेल   रचे   सब शब्दो से,

हृदय दुखे जिन शब्दों से ,उन शब्दों को मत बोलो तुम,
जिव्हा  दी  है ईश्वर ने,  मत   इसमें हलाहल घोलो तुम,

शब्दों  से  कितने  नाते ,  कितने   सम्बन्धों को खोया,
वो ही हर नाता जीत गया जिसने जिव्हा पर अमृत बोया,

सोचो  तो  ऐसा   सोचो  कि  फूल  चमन में खिल जाए,
और वाणी से ऐसा बोलो ,कानो में अमृत घुल जाए ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #शब्दोंकेतीर