आज तक तुमने कोई शिकायत नहीं की। बचपन में मुझे गोदी में घुमाया तो फिर हाथ पकड़ कर चलना सिखाया। मेरी घूमने की ज़िद्द पूरा करने के लिए तुमने अपने कंधो पर उठा कर मुझे संसार घुमाया लेकिन आजतक तुमने कोई शिकायत नहीं की। मेरी हर ज़िद्द पूरी करने के लिए तुमने अपनी ख्वाहिशें पूरी ना की। तुमने पिता होने का हर एक फर्ज निभाया। मुझे आज भी याद है मेरी एक ज़िद्द पर साइकिल ले आना। मुझे आज भी याद है मुझे रोता देख तुम्हारा गला बैठ जाना। मुझे आज भी याद है हर दीवाली पर खुद कपड़े ना खरीद मेरे लिए नए कपड़े लाना। मुझे आज भी याद है मेरे कम मार्क्स आने पर तुम्हारा दिलासा देना। मुझे आज भी याद है मेरी गलती पर तुम्हारा प्यार से समझाना। मेरे गुस्सा हो जाने पर मुझे प्यार से मनाना। पर इसके बाबजूद भी तुमने कोई शिकायत ना की। आज मैं कभी तुम पर गुस्सा हो जाता हूं। कोई चीज तुम्हारी ना पसंद आने पर टोक देता हूं । पर फिर भी तुमने कभी बचपन की मुझे कोई बात नहीं जताई । मेरी हर चीज सहकर भी आजतक तुमने कोई शिकायत नहीं की । #father#love#reality#emotion#sacrifice#papa#thought#poem