ये जज्बातो क़ी ज़ंज़ीर... आज भी सक्षम है.... मेरी उलझन बढ़ाने मे.... ज़ब भी मै फुरसत के वक़्त उदासियों से रूबरू होता हूँ... मिल जाती है विस्तीर्णंता मेरी सुकड़ी हुई उम्र को पड़ाव क़ी इस बंजर भूमि पर ये जज्बाती बारिशें हरीतिमाँ को लाने मे कितनी सक्षम हे? जज्बातो क़ी बारिशे