बारिशों में वो चाय वाली मोहब्बत हो तुम अपना ख्याल रखना मेरी अमानत हो तुम तुम्हें छू भी दूं तो घबराता हैं मन मेरा गुलाब हो तुम छुईमुई सी नज़ाकत हो तुम तुम मिलों न मिलों ये बात मुकद्दर की हैं मेरी ज़िंदगी की अमिट लिखावट हो तुम अभी उलझे हैं हम, मिलते हैं कभी फ़ुरसत में तब तक के लिए मेरी अग्रिम जमानत हो तुम ©ML Suryavanshi #जिंदगानी