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mlsuryavanshi0709
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ML Suryavanshi

Wildlife Photographer,Poet

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ML Suryavanshi

White मैं गर याद बन जाऊं तो फिर कहानी में मिलूंगा
सर्द हवाओं में मिलूंगा बारिशों के पानी में मिलूंगा


अब तो कश्मकश ऐ जिंदगी में यूं शाम हो जाती हैं
ढूढोंगे मुझे अब फिर कहां किसी नादानी में मिलूंगा


तुम्हारी बस्ती में ठहरना अब मुनासिब नहीं रहा
मैं जब भी मिलूंगा अब सफ़र ऐ रवानी में मिलूंगा


हमारे जाने के बाद भी आबाद रहेगी ये दुनिया
अब मैं तुम्हें कहां किसी निशानी में मिलूंगा

©ML Suryavanshi ये ज़िंदगी

ये ज़िंदगी #विचार

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ML Suryavanshi

White मैं मां के लिए क्या लिखूं

मां ने ही सबकुछ लिखा हैं

©ML Suryavanshi #mothers_day
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ML Suryavanshi

White ज़िंदगी के रास्ते भी बड़े अजीब होते हैं

समझ में तब आते हैं 

जब लौटने का वक्त हो जाता हैं...

©ML Suryavanshi #लाइफ #लेशन्स
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ML Suryavanshi

White क्या जमाना था वो

मई जून की गर्मी 

खाली पड़े खेत खलिहान

पहाड़ों से गुजरती गर्म हवाएं

वो भरी दोपहरी में भी
 
खेलना घूमना और भटकना

और वो मम्मी पापा की डांट

अब भी लगभग सब कुछ वैसा ही हैं।

बस वो लोग कहीं खो गए

जिनके साथ हम वक्त बिताया करते हैं।

Missing You Forever 2000 - 2014..❤️🚶

©ML Suryavanshi #लाइफ
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ML Suryavanshi

तुमने इन पतिंगो का जलना नहीं देखा

मेरा लड़खड़ाना मेरा संभलना नहीं देखा

कहीं ठहर जाऊं ये अपनी फितरत में कहां

तुमने मेरा उम्र भर का चलना नहीं देखा

बागबा ने फूलों का खिलना नहीं देखा

किसानों ने शाम का ढलना नहीं देखा

मंज़िल को छोड़ों तुम बस सफर में रहो 

यूं रेत की घड़ी का फिसलना नहीं देखा

©ML Suryavanshi #मेरी_जिंदगी
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ML Suryavanshi

Village Life तुमने इन पतिंगो का जलना नहीं देखा
मेरा लड़खड़ाना मेरा संभालना नहीं देखा
कहीं ठहर जाऊं ये अपनी फितरत में कहां
तुमने मेरा उम्र भर का चलना नहीं देखा

बागबा ने फूलों का खिलना नहीं देखा
किसानों ने शाम का ढलना नहीं देखा
मंज़िल को छोड़ों तुम बस सफर में रहो 
यूं रेत की घड़ी का फिसलना नहीं देखा

©ML Suryavanshi #जिंदगी
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ML Suryavanshi

शांत चेहरे अक्सर लड़ रहे होते हैं कई सारी लड़ाईयां 
कुछ गैरों के साथ, कुछ अपनों के साथ और कुछ स्वयं के साथ।

©ML Suryavanshi #लाइफ #लेशंस
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ML Suryavanshi

मैं लौटूंगा

अंधेरों की क्या मजाल हैं मैं भोर बनकर लौटूंगा
कतरा समझा मुझे अब मैं कुछ और बनकर लौटूंगा

जो समझते हैं कि अब मेरा वक्त नहीं रहा 
इंतजार करना मैं ताकत-ऐ-पुरजोर बनकर लौटूंगा

अभी जितना चाहे तू मुझे सता ले ऐ ज़िंदगी 
मैं जब भी लौटूंगा घटा-ऐ-घनघोर बनकर लौटूंगा

हो न मायूस तू ये ज़िंदगी का ठहराव देखकर
यकीं हैं "मारी" हां मैं नया दौर बनकर लौटूंगा

©ML Suryavanshi #मैं_लौटूंगा
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ML Suryavanshi

कौन कितने पानी में हैं मैं हिसाब रखता हूं
पढ़ा लिखा हूं साहब साथ में किताब रखता हूं

वक्त पे नहीं मिली मंज़िल तो क्या हुआ
अब भी साथ में अपने पुराने ख्वाब रखता हूं

कुछ उसूल हैं मेरे इसलिए अभी चुप हूं
वरना तेरी हर बात का मैं जवाब रखता हूं

इक कतरा आंसू भी मैं क्यूं गिरने दूं जमीं पे
मैं आंखों में दबाएं समंदर-ए-सैलाब रखता हूं

चाहे कितनी ही लंबी क्यों न हो ये अंधेरी रात
भोर तक लड़ता रहूंगा मैं साथ आफताब रखता हूं

©ML Suryavanshi #लाइफलेशन
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ML Suryavanshi

"एक युद्ध अपने ही विरुद्ध"



 ये जरूरी तो नहीं की हर बार कहानी में नायक संघर्षों से

 जूझे और अंत में उसे सफलता मिल जाए। कुछ कहानियां

 नायकों के संघर्षों के साथ ही ख़त्म हो जाती हैं...जब लोगों

 को हमारी तकलीफें दिखाई देती हैं तो उन्हें हमारा संघर्ष दिखता

 हैं..लेकिन कुछ लड़ाईयां कभी नहीं दिखती किसी को। फिर

 भी लोग बढ़ी ही दिलचस्पी से पढ़ते हैं इनकी कहानियां

 क्योंकि जीत से कही ज्यादा ज़रूरी हैं वो लड़ाई लड़ना जो

 अपने आप से हैं...

©ML Suryavanshi कहानीकार

कहानीकार #ज़िन्दगी

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