ना जमाने से रखा बेर अपनो से दूर है, यह मंजिल की रोशनी नहीं बस मजबूर है, कही किताबे अलमारी में सजी जिनमे नूर है, यह सपना जिंदगी का बाकी सब फितूर है, वजूद से पीछा छूटा तो बैचेन हुजूर है, मिट्टी सब रंग देती बस पानी का दस्तूर है, कनक की जवानी और चांदी पर नूर है, हर किस्म की तहजीब रख दी तराजू में, बस मालिक का हुकुम और वो होना जरूरी है.... ©Sanidhya Mangal #nojotohindi #Trending #EXPLORE #Shayar #sanidhyamangal #Hindi #Light