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टूटे रिश्तों का जोड़ हो तुम अधूरे रश्तों का मोड़ ह

टूटे रिश्तों का जोड़ हो तुम
अधूरे रश्तों का मोड़ हो तुम।

एक भाई का अभिमान हो तुम
पापा की पगड़ी की शान हो तुम।

घर में चाय के पानी का उबाल हो तुम
हजारों फूलों में गुलाब हो तुम।


मै मेरा मेरा कुछ नी करता सब कुछ तुम्हारा है।
हमें तो फोकट में मिला घर को तो तुमने संवारा है।

छोटे होते हैं तो हमेशा ही लड़ते हैं,
अब त्योहार तो बस मिलने का बहाना होते हैं।

सुबह सुबह की छीटा कसी थी बचपन की सैर में, 
कितना भी लड़ लें, बोलना फिर शुरू होता था दोपहर में।

हाथापाई और झगड़ा करना बहुत याद अब आता है,
मम्मी शिकायत होती थी जब, मार भाई ही खाता है।

सबसे जरूरी घर में सलाह तुम्हारी है।
इस घर के आंगन कमरे रसोई आज भी तुम्हारी है।
 

तुम्हारे जाने से घर में तुम्हारी कमी पूरी नहीं होती है।
वो लड़ना, शिकायत सारी यादें तो आंगन में ही फैली होती है।

छीन कर खाने की आदत थी जो कल तलक तुमसे,
आज तुम्हारे आने तक बिना खाए ही रहते हैं।

घर के खेलो में साथ तुम्हारे,
सबसे ज्यादा भाई के ही किस्से होते हैं।

©Chiku Bhaiya #Rakshabandhanspecial 
#रक्षाबंधन 
#SpecailDay
टूटे रिश्तों का जोड़ हो तुम
अधूरे रश्तों का मोड़ हो तुम।

एक भाई का अभिमान हो तुम
पापा की पगड़ी की शान हो तुम।

घर में चाय के पानी का उबाल हो तुम
हजारों फूलों में गुलाब हो तुम।


मै मेरा मेरा कुछ नी करता सब कुछ तुम्हारा है।
हमें तो फोकट में मिला घर को तो तुमने संवारा है।

छोटे होते हैं तो हमेशा ही लड़ते हैं,
अब त्योहार तो बस मिलने का बहाना होते हैं।

सुबह सुबह की छीटा कसी थी बचपन की सैर में, 
कितना भी लड़ लें, बोलना फिर शुरू होता था दोपहर में।

हाथापाई और झगड़ा करना बहुत याद अब आता है,
मम्मी शिकायत होती थी जब, मार भाई ही खाता है।

सबसे जरूरी घर में सलाह तुम्हारी है।
इस घर के आंगन कमरे रसोई आज भी तुम्हारी है।
 

तुम्हारे जाने से घर में तुम्हारी कमी पूरी नहीं होती है।
वो लड़ना, शिकायत सारी यादें तो आंगन में ही फैली होती है।

छीन कर खाने की आदत थी जो कल तलक तुमसे,
आज तुम्हारे आने तक बिना खाए ही रहते हैं।

घर के खेलो में साथ तुम्हारे,
सबसे ज्यादा भाई के ही किस्से होते हैं।

©Chiku Bhaiya #Rakshabandhanspecial 
#रक्षाबंधन 
#SpecailDay
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