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मोक्ष "freedom from life and death" "कभी मानसिक

मोक्ष
"freedom from life and death"
 
"कभी मानसिक तो कभी शारीरिक दु:ख
इन सांसारिक दु:खों का आत्यंतिक विनाश ही 
मोक्ष अथवा मुक्ति है।"
किसी मनुष्य के दु:खों का विनाश तभी संभव है 
जब उसे इस आवागमन
 (जिसमें प्राय: मरण-जीवन की प्राकृतिक प्रणाली निहित है)
के चक्र से मुक्ति मिले।
जीव का मृत्युलोक में किसी न किसी रुप में जन्म लेने की प्रक्रिया उसके पूर्व जन्म के कर्मों पर‌ निर्भर करती है अन्यथा जीव को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
मोक्ष की कामना के लिए कोई आयु निर्धारण नहीं हैं क्योंकि आयु सीमा मनुष्य निर्धारित करता है ईश्वर तो सिर्फ समय।
"मोक्षं परमं धामं"

©ऋतुराज पपनै #Salvation
#Heartbeat
मोक्ष
"freedom from life and death"
 
"कभी मानसिक तो कभी शारीरिक दु:ख
इन सांसारिक दु:खों का आत्यंतिक विनाश ही 
मोक्ष अथवा मुक्ति है।"
किसी मनुष्य के दु:खों का विनाश तभी संभव है 
जब उसे इस आवागमन
 (जिसमें प्राय: मरण-जीवन की प्राकृतिक प्रणाली निहित है)
के चक्र से मुक्ति मिले।
जीव का मृत्युलोक में किसी न किसी रुप में जन्म लेने की प्रक्रिया उसके पूर्व जन्म के कर्मों पर‌ निर्भर करती है अन्यथा जीव को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
मोक्ष की कामना के लिए कोई आयु निर्धारण नहीं हैं क्योंकि आयु सीमा मनुष्य निर्धारित करता है ईश्वर तो सिर्फ समय।
"मोक्षं परमं धामं"

©ऋतुराज पपनै #Salvation
#Heartbeat