गाँव की रोटी भली थी शहर की पूरियों से बदनसीबी खींच कर ले गई शहर थी भुखमरी से मर रहा था शहर की बेजान गलियों में वापस लौट रहा हूँ पुनः गाँव की ओर चल रहा हूँ पैदल अनवरत बिना थके इस आस में कि बची जिंदगी काट लूंगा फिर से गाँव में # सफर जिंदगी की# #yourfeelings #yourlifestory