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गाँव की रोटी भली थी शहर की पूरियों से बदनसीबी खी

गाँव की रोटी भली थी 
शहर की पूरियों से 
बदनसीबी खींच कर
ले गई शहर थी 
भुखमरी से मर रहा था 
शहर की बेजान गलियों में 
वापस लौट रहा हूँ
पुनः गाँव की ओर 
चल रहा हूँ पैदल 
अनवरत  बिना थके 
इस आस में कि  
बची जिंदगी काट लूंगा 
फिर से गाँव में  # सफर जिंदगी की#
#yourfeelings #yourlifestory
गाँव की रोटी भली थी 
शहर की पूरियों से 
बदनसीबी खींच कर
ले गई शहर थी 
भुखमरी से मर रहा था 
शहर की बेजान गलियों में 
वापस लौट रहा हूँ
पुनः गाँव की ओर 
चल रहा हूँ पैदल 
अनवरत  बिना थके 
इस आस में कि  
बची जिंदगी काट लूंगा 
फिर से गाँव में  # सफर जिंदगी की#
#yourfeelings #yourlifestory

# सफर जिंदगी की# #yourfeelings #yourlifestory