कैसे-कैसे दिन है दिन में सो जाते हैं रात कैसे कटेगी सोचकर रो जाते हैं लगता नहीं दिल अब इस दुनिया में तुम्हें सोच सोच कर तुझमें खो जाते हैं एड़ियों में है दर्द अब क्या बताएं सुनकर मां का कमर-दर्द खो जाते हैं मैंने देखा है दरवाजे के पीछे खड़े होकर लोग अपनों से ज्यादा पड़ोसियों में खो जाते हैं कितनी बगैरत है ये बात लोग समझते नहीं पहले अपना बनाकर फिर दूसरों में खो जाते हैं होती है साख पर आंच तुमने देखा नहीं कभी अपने ही अपनों की खुशियां धो जाते हैं कितने तकलीफों में हम चुपचाप सो जाते हैं बच्चे मां की खाट के पास बैठ कर रो जाते हैं ग़ाफिल सुनो ना है यह रंज की रंज ना रहे दुनिया की छोड़ो अब एक दूसरे में खो जाते हैं | कैसे-कैसे दिन है दिन में सो जाते हैं रात कैसे कटेगी सोचकर रो जाते हैं लगता नहीं दिल अब इस दुनिया में तुम्हें सोच सोच कर तुझमें खो जाते हैं एड़ियों में है दर्द अब क्या बताएं सुनकर मां का कमर-दर्द खो जाते हैं