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मेरे ही गीत गजलों को, सदा तुम गुनगुनाती हो, कभी म

मेरे ही गीत गजलों को, सदा तुम गुनगुनाती हो, 
कभी महफ़िल मे जब आती, इसे सबको सुनाती हो, 
तो फिर क्या बात है जो हमसे छूपाये दिल मे रखती हो
कभी मुझसे नहीं सुनती, नहीं अपनी सुनाती हो।

©ब्रजमोहन पांडेय
  #Gurupurnima