शीर्षक- छोड़ दिया है मैंने अब,फिक्र औरों की करना ----------------------------------------------------------- छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना। औरों की फिक्र में बीमार, खुद अपने को करना।। छोड़ दिया है मैंने अब------------------।। सोचता हूँ मैं अब, अपनी खुशी के ही बारे में। मतलबी हैं यह दुनिया, इससे आशा भी क्या करना।। छोड़ दिया है मैंने अब--------------------।। दोस्त जिनको कहते थे हम, हो गए वो अब दुश्मन। ऐसे हो जब रिश्तें यहाँ, तारीफ़ किसी की क्या करना।। छोड़ दिया है मैंने अब------------------।। औरों के आशियानें जलाकर, करते हैं रोशन अपना घर। ऐसे लोगों से दया- धर्म की, उम्मीद कभी क्यों करना।। छोड़ दिया है मैंने अब-----------------।। किसने मुझे इमदाद दी है, जब था मैं मुफलिसी में। मुश्किल से आबाद हुआ हूँ , गुलाम नहीं खुद को करना।। छोड़ दिया है मैंने अब-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गजल_सृजन