कागज़ का दिल रखने लगे हैं लोग अधिकतर खुद को ही ठगने लगे हैं लोग कठिनाइयों की बारिशों में भीगते ही डूब जाते है चुनौतियों में झुलसते ही राख में बदल जाते है अब तो वैभव विलास के मोह का विकट है रोग सखी धन में अंबार में डूबने की चाह रखते हैं लोग बबली गुर्जर ©Babli Gurjar कागज़ के दिल R K Mishra " सूर्य "