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कागज़ का दिल रखने लगे हैं लोग अधिकतर खुद को ही ठगन

कागज़ का दिल रखने लगे हैं लोग
अधिकतर खुद को ही ठगने लगे हैं लोग


कठिनाइयों की बारिशों में भीगते ही डूब जाते है
चुनौतियों  में झुलसते ही राख में बदल जाते है 


अब तो वैभव विलास के मोह का विकट है रोग
सखी धन में अंबार में डूबने की चाह रखते हैं लोग 
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar कागज़ के दिल R K Mishra " सूर्य " Ashutosh Mishra R Ojha Sethi Ji Bhardwaj Only Budana
कागज़ का दिल रखने लगे हैं लोग
अधिकतर खुद को ही ठगने लगे हैं लोग


कठिनाइयों की बारिशों में भीगते ही डूब जाते है
चुनौतियों  में झुलसते ही राख में बदल जाते है 


अब तो वैभव विलास के मोह का विकट है रोग
सखी धन में अंबार में डूबने की चाह रखते हैं लोग 
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar कागज़ के दिल R K Mishra " सूर्य " Ashutosh Mishra R Ojha Sethi Ji Bhardwaj Only Budana