डरे हुए से लम्हें जीवन का एक बुरा ख़्वाब ना दिखाए ईश्वर इसको जीवन में बार बार तन के साथ मन भी टूट जाता है जब कोई अजनबी धोखा दे जाता है चीत्कार कर उठता है एक स्त्री का मन जब कोई पुरुष उसके तन और आत्मा को घायल कर देता है टूट कर बिखर जाती है किसी से कुछ कह नहीं पाती है सामाजिक प्रभाव के कारण पुरुष को श्रेष्ठ मान कर स्त्री का दोष निकाल सारी गलती उसी पर मढ़ देते हैं स्त्री को आत्मसम्मान और अस्तित्व के लिए खुद ही लड़ना होगा अपनी हिफाज़त खुद ही करना होगा अपनी ही आत्मबल से कानून और समाज से आत्मसम्मान और बराबरी का हक़ लेना होगा।। ♥️ Challenge-689 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।