भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव भारत के वे सच्चे सपूत थे, जिन्होंने अपनी देशभक्ति और देशप्रेम को अपने प्राणों से भी अधिक महत्व दिया और मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर कर गए। 23 मार्च यानि, देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों को हंसते-हंसते न्यौछावर करने वाले तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस। यह दिवस न केवल देश के प्रति सम्मान और हिंदुस्तानी होने वा गौरव का अनुभव कराता है, बल्कि वीर सपूतों के बलिदान को भीगे मन से श्रृद्धांजलि देता है।
उन अमर क्रांतिकारियों के बारे में आम मनुष्य की वैचारिक टिप्पणी का कोई अर्थ नहीं है। उनके उज्ज्वल चरित्रों को बस याद किया जा सकता है कि ऐसे मानव भी इस दुनिया में हुए हैं, जिनके आचरण किंवदंति हैं। भगतसिंह ने अपने अति संक्षिप्त जीवन में वैचारिक क्रांति की जो मशाल जलाई, उनके बाद अब किसी के लिए संभव न होगी।
इनसे मुझे सीखने को मिलता है कि समस्या कितनी भी बड़ी हो हंस कर के गले लगा लेना चाहिए समस्या भी शरमा जायेगी,
जैसे तीनों लोगों ने अपनी मौत को हंसते हुए गले लगाया था और झूल गए थे फांसी पर,
अपने देश के लिए ये जज्बा देख किसी भी इंसान के दिल में उनके लिए प्रेम बढ़ जायेगा।।
ये आज भी हमारे लिए खास हैं और हमेशा रहेंगे।।
जय हिंदी जय भारत #विचार