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सच कहूं तो लिख ही ना पाया कभी कहूं तो शब्दों में त

सच कहूं तो लिख ही ना पाया कभी
कहूं तो शब्दों में तोल उसे छल ही ना पाया कभी..

मोहब्बत हमारी निश्छल थी
शब्दों की मोहताज भी बस नयनों से बाते होती थी

दिलों से सिर्फ़ जज़्बातों की मुलाकात
चाहत किसी से कम न थी पर टुकड़ों में मिला उसका साथ.. ♥️ Challenge-989 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
सच कहूं तो लिख ही ना पाया कभी
कहूं तो शब्दों में तोल उसे छल ही ना पाया कभी..

मोहब्बत हमारी निश्छल थी
शब्दों की मोहताज भी बस नयनों से बाते होती थी

दिलों से सिर्फ़ जज़्बातों की मुलाकात
चाहत किसी से कम न थी पर टुकड़ों में मिला उसका साथ.. ♥️ Challenge-989 #collabwithकोराकाग़ज़

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