रूखसत का कोए मतलब नहीं जब धुआँ धुआँ हर मंजर है हम कोशिश भी ना करे वो दिल एक बंजर है चलना तो होगा ही ईसमे कया असमंजस है नौका जो पर बैठे है वो एक खंजर है #राहो #की #सुनो #वो #बतयाती #है