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ये दुनियां तुझ पर ही सारे बेबुनियाद आरोप लगाती है

ये दुनियां तुझ पर 
ही सारे बेबुनियाद आरोप लगाती हैं।
जब वो खुद को 
किसी भी मामले में तेरे बराबर नही पाती हैं।
बेवजह शक के 
घेरे में डाल चरित्र हीनता का दाग लगाती हैं। 
रिश्तों का आधार 
तो प्यार विश्वास सम्मान सरलता मांगती हैं 
पर घर तोड़ाई का 
इल्जाम सिर्फ अकेले तुझ पर ही क्यूं आती हैं।
परेशानियां तो सारी 
तेरी अपनी सी लगने वाली ये दुनियां बढ़ाती हैं। 
उलझनों को सुलझाने कि 
महारत ही बस एक स्त्री को अनुपमा बनाती हैं।

©rajeshwari Thakur
  #अनुपमा