हमारा भी कुछ मुकाम होता गर किस्मत हमारा दुकान होता मंजीले पास बुलाती हमे हर कदम पे एक ही पुकार होता हमारा भी कुछ मुकाम होता गर किस्मत हमारा दुकान होता !! ना गिरने का डर होता ना सम्हलने का फिक्र होता ना चलने का ज़िक्र होता ना फिसलने का फिक्र होता हमारा भी कुछ मुकाम होता गर किस्मत हमारा दुकान होता !! छूपा होता बादलो में फिर भी चमक रहा होता हर पल मानो चिडियों सा चहक रहा होता खुशियों की चाभी बिस्तर पे मैं हर दिशाओ में महक रहा होता हमारा भी कुछ मुकाम होता गर किस्मत हमारा दुकान होता !! विवेक कौशिक #Nojoto #Hindi #poems #hindipoetry #feather