Nojoto: Largest Storytelling Platform
vivekkaushik2355
  • 149Stories
  • 117Followers
  • 1.4KLove
    0Views

Kaushik

quality is not an act,,,, it's hobbit.....

  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
60354b5cb217b6fc7fe8cd371e624506

Kaushik

हर रोज अंधेरों से लड जाते है चांद तारे
टूटी सही जो दरिया मौज मे है उनकी किस्मत में है किनारे
वो ख्वाब बस ख़्वाब हि रह जाते है
जिसको रख के सो जाते है तकिये के सिराने
विवेक कौशिक

©Kaushik #worldpostday
60354b5cb217b6fc7fe8cd371e624506

Kaushik

हजारो ख्वाहिशे दबाने की जो अदा है तेरी वाह
रहती है मिट्टी में फुल खिलाने की अदा है तेरी वाह
क्या नहीं है मेरे पास इस जहा में सोचता हू 
कि तेरी आँखो में मेरे सपने सजाने की जो अदा है तेरी वाह
माँ से बडा ना कोई रिस्ता जहा में फिर भी 
दब के रहने की जो अदा है तेरी वाह
गुलो, फुलो, मखमल, सा कोमल है फिर भी 
धुप में छाया लगने की जो अदा है तेरी वाह
तुझसे हम है ये जानती है दुनिया 
फिर भी हमको मनाने की जो अदा है तेरी वाह
   विवेक कौशिक

©Kaushik #worldpostday
60354b5cb217b6fc7fe8cd371e624506

Kaushik

भूल नहीं होती माँ से कैसे माँ को भूल जाऊ
सोते सोचती है आँखे कैसे माँ में घूल जाऊ
फुलो की चादर बोले है माँ सो जा फिर मैं खिल   
 जाऊ
यू तो कदमो की आहट से पहचान लेती कौन है
घर रोये या आंगन रोये तु जान लेती कौन है
जलता हुआ दीपक की बाति देख तुझे ही जलता है
शर्मा के कभी तुझसे अपनी आँखे बन्द कर लेता है
आसमा से गीरे जो जुगुनू हर मुठ्ठी से फिसलता है
माँ तेरी ही दुवाये हमारे माथे पे आके मिलता है
     विवेक कौशिक

©Kaushik #worldpostday
60354b5cb217b6fc7fe8cd371e624506

Kaushik

फ़िसल रही है हाथों से
समय की एक बड़ी फ़सल
बीत रहा है पल-पल
समय हो रहा सफल 
ना रुका है ना रुकेगा
हर बार जागा है सबकी खातिर
ना सोया है ना हि सोयेगा
हमको सुलाया खुद की खातिर
सुबह शाम की मंजर में 
सब सोये खोये रहते है
समय है की पल-पल रग में 
नया ऊर्ज़ा भरे रहते है
ज़िक्र है हर होंठों  पे
समय तू क्यो बदलता है
बोला वो भी हसकर
आन्खो की आंशुओ मे दबकर
कभी खुशी देखा ना गम देखा
जीवन हूँ या मै मृत 
बस बढता हुआ फ़सल देखा
विवेक कौशिक

©Kaushik #worldpostday
60354b5cb217b6fc7fe8cd371e624506

Kaushik

सच में क्या ये ज़िन्दगी 
सच में बदल जाएगी
सच के सामने क्या ये
ज़िन्दगी सम्हल पाएगी
सच में जीकर जिन्दगी
सच को जान पाएगी
या सच जाने बीना ज़िन्दगी 
सच के बीना गुजर जाएगी 
क्या सच है ज़िन्दगी 
ये मर के जान पाएगी
या मरे बीना ज़िन्दगी 
सच को जान जाएगी
ये जानने में ज़िन्दगी 
क्या उम्र गुज़र जायेगी 
या रास्तों पर रुककर
ज़िन्दगी गुजर जाएगी
ज़िन्दगी! क्या ये ज़िन्दगी 
सच को समझ पाएगी
या बीना कुछ समझे ज़िन्दगी 
सच में गुजर जाएगी... 
विवेक कौशिक

©Kaushik #worldpostday
60354b5cb217b6fc7fe8cd371e624506

Kaushik

श्याहियाँ कमज़ोर हो सकती है
शब्दों का असर नहीं 
विवेक कौशिक

©Kaushik #worldpostday
60354b5cb217b6fc7fe8cd371e624506

Kaushik

जब देश में आन्धी आयी थी
हर गली में तुफ़ा उठता था
तब एक फ़ूक तो तुम दे ना सके
अब कविता लिख कर क्या होगा......
जब दग्ध ह्र्दय तड़प रहा था
पानी की बुन्द को तरस रहा था
तब कतरा भर तो दे ना सके
अब कविता लिख कर क्या होगा....
हर आंख से आंशु छलक रहा था
प्रतिपीडित मन दु:ख से दहक रहा था
तब एक अश्क भी तो पोछ ना सके
अब हास्य लिखकर क्या होगा.....
जब सीमा पर वीर अपने प्राणो की आहुति दे रहे थे
ऊच्चा कर तिरंगे को अपना लहू बहा रहे थे
तब घर से बाहर तो निकल ना सके
अब वीर रस से क्या होगा.....
जब प्रेम को प्यासा मेरा दिल था
बस तुम हि मेरे प्रेम धेय थे 
तब मुस्कुरा के एक नज़र तो देख ना सके
अब श्रन्गार रस से क्या होगा....
जब भाव विहीन थी मानवता 
जब निरागस थी दुनिया 
तब एक पंक्ति भी तो रच ना सके
अब कविता लिख कर क्या होगा......
विवेक कौशिक

©Kaushik #worldpostday
60354b5cb217b6fc7fe8cd371e624506

Kaushik

जिंदगी को ऐसी पहेली ना बनाओ
कि जिन्दगी रुक जाये खुद पे
मुस्कुरा रहे होंठों को खोल
गम रह ना जाये छुप के
प्याली जो भरा है पानी से
खाली ना हो जाये धुप से
सांसों कि श्रिन्खला जो बनी है
बिखर ना जाये वो टूट के
धिमी कदम से चलने वालो 
कहिं खतम ना हो जाये रास्ते
जिंदगी जो घर था तेरा
बेघर ना हो जाये तू उस घर से
झूठ ना बोलो ऐसा खुद से
कि दिल हि तुझको छोड दे
मन की फ़िसलन शान्त करो
कहिं गिर ना जाये तारे टूट के
विवेक कौशिक

©Kaushik #worldpostday
60354b5cb217b6fc7fe8cd371e624506

Kaushik

इश्क़ में इन्सानो की नहीं 
 आँखो का दोष होता है
गम में आँखो से पानी गिरता है
और दिल शाला रोता है
हजारों आशिक हुए जहाँ में 
पर शाहजहाँ एक हि होता है
मझनु जैसे आशिक की पैदाइश
बार - बार कहाँ होता है
इश्क , समन्दर में ना
फ़र्क कोई होता है
गहरा अगर समन्दर तो
इश्क भी गहरा होता है
कद है ऊच्चा जिस बरगद की
जड़ भी मजबुत होता है
इश्क वाला कितना भी मजबुर हो
पर इश्क तो इश्क होता है
विवेक कौशिक

©Kaushik #worldpostday
60354b5cb217b6fc7fe8cd371e624506

Kaushik

प्यार में तेरे
पुरी तरह खर्चा हो गया हूँ 
एक अर्सा हो गया तुझे देखे
देख आके मुझे
मै खुद एक अर्सा हो गया हूँ 
दुर गयी है जब से तू
एक चर्चा हो गया हूँ 
हूँ मै या फ़िर
मिट्टी का गर्दा हो गया हूँ 
याद मे तेरी पल पल गुजारा
अब तू हि देख आके मुझे
सबसे तो पर्दा हो गया हूँ 
प्यार में तेरे
पुरी तरह खर्चा हो गया हूँ 
विवेक कौशिक

©Kaushik #worldpostday
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile