क्षितिज पर देखी है शाम, अभी तो सुबह का एहतराम बाकी है। परिंदा हूं रोक लो जितना रोकना है, अभी तो अम्बर के पार उड़ान बाकी है। अभी तो नापी है दो गज जमीन, अभी तो सारा आसमान बाकी है। नदियां की निर्मल धारा हूं मैं, अभी तो उफान बाकी है। अभी तो जीता है आधा रण, अभी तो संपूर्ण संग्राम बाकी है। तुमने देखा है शांत महासागर को, अभी तो सरसराती लहरों का तूफान बाकी है। दिख रही है फिजाओं मे शांति मगर, अभी तो प्रक्षेप्रास्त्र का कोहराम बाकी है। अभी तो नापी है दो गज जमीन, अभी तो सारा आसमान बाकी है। -----------आनन्द अभी तो नापी है दो गज जमीन, अभी तो सारा आसमान बाकी है।