व्यक्ति मिट सकता हैँ बूँद खो सकती हैँ.. सागर मे और उसमे खो कर वो सागर बन कर सागर का. अनुभव भी ले सकती हैँ लेकिन ज़ो बूँदे नही जानती मिटना वे पुरानी सीमाओं से. आबद्ध हैँ ©Parasram Arora खोना. मिटना