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मुझे आज भी तुम 'चाँद' पसंद हो बेशक! अनिल अब चाँद

मुझे आज भी तुम 'चाँद' पसंद हो 
बेशक! अनिल अब चाँद की पसंद नही..

तेरा मुझसे दूर होना भी मंजूर है मुझे
 दीवाना शीतल चाँदनी तेरा चाँद का नहीं..

दिन गुजरता है भाग-दौड़ में ही मेरा
 तेरे दीदार बिना तम-रजनी में करार नही..

तुमको चाँदनी मेरी रूह में बसा लूं मैं
चाँद ओझल हो जाये परन्तु चाँदनी नही..

आसमां के चाँद ग़रूर मत कर खुद पर
 धरा पर देख तू मेरे चाँद से खूबसूरत नही..

©Anil Ray
  #MoonShayari #Mymoon #chaand #sirftum