हुजूम-ए-रहगुज़र में हम कभी हमराह होते थे,
तुम्ही रहबर बने जो हम कभी गुमराह होते थे,
कभी तुम सहम जाते थे जो चमकी बिजलियाँ घर पे,
छुपा लेता था सीने में वो धड़कन याद है तुम को,
कभी एक बार कह देते, अभी हम याद हैं तुम को।
कभी रंगीन दुनिया में सफेदी ढूंढते थे तुम,
हमीं उजले दिखे तुमको फरेबी ढुंढते थे तुम, #Memories#Yaad#yqbaba#nazm#yqdidi#yqurdu#yqbhaijan