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ढल रहा हैं एक और सूरज समेटता अपनी उमंगे.. अपनी चुप

ढल रहा हैं एक और सूरज
समेटता अपनी उमंगे..
अपनी चुप्पी से राज़ दबाता,
और नीरसता बिखेरता..
शायद वह निर्मोही हो चुका होगा,
मिट कर शांति से जीना चाहता होगा।

ये शांति भी अजीब मोह हैं,
चुप्पी तो मिलती लेकिन
शांति मिलती भी नहीं।
अंदर तक जो शांत कर सकें,
वो साधन भी कहाँ हैं??

तवज्जो मिलती हैं बोलने वालों को,
खामोशी सुनता कौन हैं??
और उनका क्या,
जो इसी में जीना चाहते हैं।
चुप रहना चाहते हैं।
उनकी क़द्र नहीं करता कोई,
शायद उनसे डरते हैं लोग।

वो सूरज अब थक गया होगा,
इंतेज़ार करते-करते।
मतलबी दुनिया को फुर्सत नहीं,
पूछ लेता उसका हाल कभी।
"पूछता वो क्यों चुप हैं??"
फिर उसे ढलना नहीं पड़ता,
वो दिन हो जाता हमेशा के लिए..!! #Sun
#Nojoto
#Poem
#Feelings
#Deep_meaning
#Varsha_Srivastava
ढल रहा हैं एक और सूरज
समेटता अपनी उमंगे..
अपनी चुप्पी से राज़ दबाता,
और नीरसता बिखेरता..
शायद वह निर्मोही हो चुका होगा,
मिट कर शांति से जीना चाहता होगा।

ये शांति भी अजीब मोह हैं,
चुप्पी तो मिलती लेकिन
शांति मिलती भी नहीं।
अंदर तक जो शांत कर सकें,
वो साधन भी कहाँ हैं??

तवज्जो मिलती हैं बोलने वालों को,
खामोशी सुनता कौन हैं??
और उनका क्या,
जो इसी में जीना चाहते हैं।
चुप रहना चाहते हैं।
उनकी क़द्र नहीं करता कोई,
शायद उनसे डरते हैं लोग।

वो सूरज अब थक गया होगा,
इंतेज़ार करते-करते।
मतलबी दुनिया को फुर्सत नहीं,
पूछ लेता उसका हाल कभी।
"पूछता वो क्यों चुप हैं??"
फिर उसे ढलना नहीं पड़ता,
वो दिन हो जाता हमेशा के लिए..!! #Sun
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