बस मैं था, और थी तन्हाई घड़ी के कांटों ने तब आवाज लगाई । ना तुम तन्हा, ना में तन्हा एक दूजे के हम हमरहीं ।। -प्रवीण~prowin #तन्हाई #घड़ी