किसी राजनेता के दिवंगत होते ही राष्ट्रीय शोक दिवस घोषत किया जाता हो किन्तु बाबाओ द्वारा किये गये पाप और बलात्कार पर राष्ट्रीय शर्म दिवस घोषित क्यों नहीं होता? उधर पत्थर मार हत्यारो.. को जश्न मनाने का पूरा अवसर दिया जाता हैँ क्यों? भेदभाव.......