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हम भूल गये अपने घर को भगवान तुम्हारा क्या होगा जब

हम भूल गये अपने घर को भगवान तुम्हारा क्या होगा 
जब मोह की निद्रा सोये रहे सम्मान तुम्हारा क्या होगा 

हम खोज रहे सुःख भोगों में सच्चे सुःख की पहचान नहीं 
पापों से धसते जाते हैं पुण्यों को इक सोपान नहीं 
इस स्वारथ में जीने वाला इंसान तुम्हारा क्या होगा 

जीवन में धन दौलत चाहा दौलत के मद में फूल गये 
जिहव्या के रस तो भोग लिये  बस ध्यान तुम्हारा भूल गये 
तन मन को नर्क बना डाला अब भान तुम्हारा क्या होगा 

हम आलस को आराम कहें हे राम न मुख से आता है 
ये काया माया के बंधन कब छोड़ इन्हें मन पाता है 
सुःख दुख की चिंता भारी है गुणगान तुम्हारा क्या होगा

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #राम भजन
हम भूल गये अपने घर को भगवान तुम्हारा क्या होगा 
जब मोह की निद्रा सोये रहे सम्मान तुम्हारा क्या होगा 

हम खोज रहे सुःख भोगों में सच्चे सुःख की पहचान नहीं 
पापों से धसते जाते हैं पुण्यों को इक सोपान नहीं 
इस स्वारथ में जीने वाला इंसान तुम्हारा क्या होगा 

जीवन में धन दौलत चाहा दौलत के मद में फूल गये 
जिहव्या के रस तो भोग लिये  बस ध्यान तुम्हारा भूल गये 
तन मन को नर्क बना डाला अब भान तुम्हारा क्या होगा 

हम आलस को आराम कहें हे राम न मुख से आता है 
ये काया माया के बंधन कब छोड़ इन्हें मन पाता है 
सुःख दुख की चिंता भारी है गुणगान तुम्हारा क्या होगा

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #राम भजन