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White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इ

White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।
ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है,
ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में।

अरसों से खुद को सँवारा है मैंने,
बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में।
लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार,
मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में।

थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से,
ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में।
ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में,
अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari 
तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।
White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।
ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है,
ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में।

अरसों से खुद को सँवारा है मैंने,
बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में।
लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार,
मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में।

थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से,
ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में।
ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में,
अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari 
तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।