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abhaybipin6063
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theABHAYSINGH_BIPIN

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theABHAYSINGH_BIPIN

Unsplash हालत-ए-दिल जरा संभलने दो,
हालात बदन को संवरने दो।
इश्क़ तो एक राह है जुनूँ की,
उससे शहर से मुझको गुजरने दो।

पर एक रौनक़ इश्क़ ठहरने दो,
ढूँढ़ लेंगे दिल के लिए एक ठिकाना।
इस दिल से पछतावे को निकलने दो,
इश्क़ की राह में अब कोई न आना।

©theABHAYSINGH_BIPIN #lovelife 

हालत-ए-दिल जरा संभलने दो,
हालात बदन को संवरने दो।
इश्क़ तो एक राह है जुनूँ की,
उससे शहर से मुझको गुजरने दो।

पर एक रौनक़ इश्क़ ठहरने दो,
ढूँढ़ लेंगे दिल के लिए एक ठिकाना।
इस दिल से पछतावे को निकलने दो,
इश्क़ की राह में अब कोई न आना। Frame Matter  Saurabh Tiwari  Krisswrites  Satyam Singh

#lovelife हालत-ए-दिल जरा संभलने दो, हालात बदन को संवरने दो। इश्क़ तो एक राह है जुनूँ की, उससे शहर से मुझको गुजरने दो। पर एक रौनक़ इश्क़ ठहरने दो, ढूँढ़ लेंगे दिल के लिए एक ठिकाना। इस दिल से पछतावे को निकलने दो, इश्क़ की राह में अब कोई न आना। Frame Matter Saurabh Tiwari Krisswrites Satyam Singh #वीडियो

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theABHAYSINGH_BIPIN

White वयां करती है कभी इश्क़, कभी रंज,
मेरे दर्द से आँखें चार नहीं करती।
नज़रें मिले तो मुड़ जाए कहीं,
वो अब मेरे साथ नहीं चलती।

स्टेटस से बयाँ करती है अपना दर्द,
वो मुझसे अब प्यार नहीं करती।
जो कहती थी, "सात खून माफ़ तेरे",
गलती पर अब आँखें चार नहीं करती।

कसती है अपने शब्दों से मुझपे तंज,
सीधे-सीधे अब मुझसे कुछ नहीं कहती।
बयाँ करती है मुझसे अपने रंज सभी,
वो आँखों से कत्ल-ए-आम नहीं करती।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Thinking 
वयां करती है कभी इश्क़, कभी रंज,
मेरे दर्द से आँखें चार नहीं करती।
नज़रें मिले तो मुड़ जाए कहीं,
वो अब मेरे साथ नहीं चलती।

स्टेटस से बयाँ करती है अपना दर्द,
वो मुझसे अब प्यार नहीं करती।
जो कहती थी, "सात खून माफ़ तेरे",
गलती पर अब आँखें चार नहीं करती।

कसती है अपने शब्दों से मुझपे तंज,
सीधे-सीधे अब मुझसे कुछ नहीं कहती।
बयाँ करती है मुझसे अपने रंज सभी,
वो आँखों से कत्ल-ए-आम नहीं करती। Saurabh Tiwari  h m alam s  Rakesh Srivastava  Krisswrites  अंजान  h m alam s  मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी सायरी मोटिवेशन मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स

#Thinking वयां करती है कभी इश्क़, कभी रंज, मेरे दर्द से आँखें चार नहीं करती। नज़रें मिले तो मुड़ जाए कहीं, वो अब मेरे साथ नहीं चलती। स्टेटस से बयाँ करती है अपना दर्द, वो मुझसे अब प्यार नहीं करती। जो कहती थी, "सात खून माफ़ तेरे", गलती पर अब आँखें चार नहीं करती। कसती है अपने शब्दों से मुझपे तंज, सीधे-सीधे अब मुझसे कुछ नहीं कहती। बयाँ करती है मुझसे अपने रंज सभी, वो आँखों से कत्ल-ए-आम नहीं करती। Saurabh Tiwari h m alam s Rakesh Srivastava Krisswrites अंजान h m alam s मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल स्टेटस हिंदी सायरी मोटिवेशन मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स

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theABHAYSINGH_BIPIN

White टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान,
जहां रहता था कभी सच्चा इंसान।
मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर,
कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान।

रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी,
जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान।
भाईचारे की भावना एक हस्ती थी,
अब भाई को नहीं मिलता सम्मान।

अब किराए का शहर छोड़कर,
उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान।
खो दिया है सबका अपमान कर,
अब गैरों में ढूंढता है सम्मान।

ये कैसा दौर चला है कलयुग का,
देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान।
मुकर जाता है एक मदद के नाम से,
अभय से ना रखता है जान-पहचान।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_qoute 
टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान,
जहां रहता था कभी सच्चा इंसान।
मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर,
कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान।

रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी,
जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान।
भाईचारे की भावना एक हस्ती थी,
अब भाई को नहीं मिलता सम्मान।

अब किराए का शहर छोड़कर,
उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान।
खो दिया है सबका अपमान कर,
अब गैरों में ढूंढता है सम्मान।

ये कैसा दौर चला है कलयुग का,
देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान।
मुकर जाता है एक मदद के नाम से,
अभय से ना रखता है जान-पहचान। Saurabh Tiwari  अंजान  gudiya  h m alam s  बाबा ब्राऊनबियर्ड  Extraterrestrial life Sushant Singh Rajput Kalki Aaj Ka Panchang Islam

#sad_qoute टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी, जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान। भाईचारे की भावना एक हस्ती थी, अब भाई को नहीं मिलता सम्मान। अब किराए का शहर छोड़कर, उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान। खो दिया है सबका अपमान कर, अब गैरों में ढूंढता है सम्मान। ये कैसा दौर चला है कलयुग का, देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान। मुकर जाता है एक मदद के नाम से, अभय से ना रखता है जान-पहचान। Saurabh Tiwari अंजान gudiya h m alam s बाबा ब्राऊनबियर्ड Extraterrestrial life Sushant Singh Rajput Kalki Aaj Ka Panchang Islam #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

White मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है,
चिंतन में मन क्यूँ लागे है?
छेड़ रण अब ख़ुद के मन से,
भजन कीर्तन कैसे न रागे है?

जग झूठे सुख में अभियोग है,
जो लिप्त हुआ, सुख न पाया है।
जब अंतःमन प्रभु पुकारा है,
हर हृदय ने प्रभु को पाया है।

शरण में सर्वत्र न्यौछार दिया,
प्रभु ने उस जीवन को तार दिया।
जो नित ध्यान प्रभु में धारिता,
उसके जीवन का सार किया।

जीवन के सारे सुख निरर्थक हैं,
बिन प्रभु के कुछ भी सार्थक नहीं है।
जीवन का कोई राह दिखे न,
तो फिर प्रभु शरण ही उपाय है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night 

मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है,
चिंतन में मन क्यूँ लागे है?
छेड़ रण अब ख़ुद के मन से,
भजन कीर्तन कैसे न रागे है?

जग झूठे सुख में अभियोग है,

#good_night मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है, चिंतन में मन क्यूँ लागे है? छेड़ रण अब ख़ुद के मन से, भजन कीर्तन कैसे न रागे है? जग झूठे सुख में अभियोग है, #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

Unsplash किसी का हमसफ़र होना कोई आसान नहीं,
किसी एक शख़्स का हो जाना कोई आसान नहीं।

ख़्वाहिशें जिन्हें अक्सर नींद से जगाती रहती हैं,
हज़ारों फ़िदा उस हसीं शख़्स पर, फिर भी उसे गुमान नहीं।

कुछ एक को पाकर लोग कितने हसीं समझते हैं ख़ुद को,
एक वही हँसी नहीं, जग का बस उसे अनुमान नहीं।

लोगों का आना-जाना तो महज़ एक समय का खेल है,
उम्र भर मेरे ही इश्क़ में रहना, उसका कोई जवाब नहीं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #snow किसी का हमसफ़र होना कोई आसान नहीं,
किसी एक शख़्स का हो जाना कोई आसान नहीं।

ख़्वाहिशें जिन्हें अक्सर नींद से जगाती रहती हैं,
हज़ारों फ़िदा उस हसीं शख़्स पर, फिर भी उसे गुमान नहीं।

कुछ एक को पाकर लोग कितने हसीं समझते हैं ख़ुद को,
एक वही हँसी नहीं, जग का बस उसे अनुमान नहीं।

#snow किसी का हमसफ़र होना कोई आसान नहीं, किसी एक शख़्स का हो जाना कोई आसान नहीं। ख़्वाहिशें जिन्हें अक्सर नींद से जगाती रहती हैं, हज़ारों फ़िदा उस हसीं शख़्स पर, फिर भी उसे गुमान नहीं। कुछ एक को पाकर लोग कितने हसीं समझते हैं ख़ुद को, एक वही हँसी नहीं, जग का बस उसे अनुमान नहीं। #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

White वर्षों से आग जलती रही, बुझाई नहीं
सेज प्यार की हमारी भी सजाई नहीं
वक्त ने किस हद तक हाशिए पर रखा हमें,
लिखे हजार ख़त, उस तक पहुँचाई नहीं

अफवाहों के किस्से फैलते अखबारों में,
सच्ची कहानी मेरी, कभी सुनाई नहीं 
छुपाकर रखा मुझसे मेरे ही राज़ सारे,
किसी से भी मेरी कभी लड़ाई नहीं 

कितना यकीन था, सब मेरे थे यहाँ,
मेरी आँखों से वो पर्दा हटाई नहीं
उसने भी ढूँढ लिया अकेलेपन की दवा,
किए हजारों वादे, पर कोई निभाई नहीं

किससे शिकायत करूँ, सभी अपने ही थे,
खंजर से भरे हाथ, जो कभी दिखाई नहीं 
कैसे लिखूँ अपने ही मारे जाने की कहानी,
ये राज़, जो खुद से भी बताई नहीं

फैसला कहाँ हुआ, मेरी अर्ज़ियों का,
झूठ से मेरी कभी रिहाई हुई नहीं 
हाशिए पर आकर भी यकीन है मुझे,
अभय, दुनिया से अभी सच्चाई गई नहीं

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes 
वर्षों से आग जलती रही, बुझाई नहीं
सेज प्यार की हमारी भी सजाई नहीं
वक्त ने किस हद तक हाशिए पर रखा हमें,
लिखे हजार ख़त, उस तक पहुँचाई नहीं

अफवाहों के किस्से फैलते अखबारों में,
सच्ची कहानी मेरी, कभी सुनाई नहीं

#sad_quotes वर्षों से आग जलती रही, बुझाई नहीं सेज प्यार की हमारी भी सजाई नहीं वक्त ने किस हद तक हाशिए पर रखा हमें, लिखे हजार ख़त, उस तक पहुँचाई नहीं अफवाहों के किस्से फैलते अखबारों में, सच्ची कहानी मेरी, कभी सुनाई नहीं #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

किस कदर बेखबर है वो मुझसे,
एक साया है मगर साथ कब से।

ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ,
जाने कहाँ खो गई है वो हमसे।

अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस्कान,
खिला नहीं कोई गुलाब भी कब से।

सवालों का पिटारा है मेरे दिल में,
पर पूछने की इजाजत नहीं उससे।

नज़रों से सवाल कर जाती है,
अब नज़र मिलती नहीं मेरी उससे।

देखकर मेरे बगल से गुजर जाती है,
सोचता हूँ, सजा दूँ बालों में गजरे।

कैसी बेताबी है, उसे क्या ख़बर,
देख ले इश्क़, जो मिल जाए नज़रे।

किस कदर सब्र का चोला पहना,
इसी हाल में जी रहा 'अभय' कब से।

©theABHAYSINGH_BIPIN किस कदर बेखबर है वो मुझसे,
एक साया है मगर साथ कब से।

ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ,
जाने कहाँ खो गई है वो हमसे।

अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस्कान,
खिला नहीं कोई गुलाब भी कब से।

किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस्कान, खिला नहीं कोई गुलाब भी कब से। #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

White नभ में काले बादल आये,
अपने संग बारिश लाए।
हवा संग इठलाते बादल,
हवा संग ये पानी लाए।

देखो काले बादल आये,
कहा से और ऊपर जाएं।
कितने पास बादल आये,
हमको छूने बादल आये।

किसने दिया पता मेरा,
मेरे घर को बादल आये।
देखो मुझपे गरज रहे हैं,
संग अपने अंधेरा लाए।

किसने छेद किया इसमें,
जो बूँद-बूँद पानी गिराए।
देखो काले बादल आये,
नभ में काले बादल आये।

इसको किसने बुलाया है,
आंधी संग बिजली लाए।
देखो कितने पास ये बादल,
जैसे देखो पेड़ों को छू जाएं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #badal 
#kavita 
#barish 

नभ में काले बादल आये,
अपने संग बारिश लाए।
हवा संग इठलाते बादल,
हवा संग ये पानी लाए।

#badal #kavita #barish नभ में काले बादल आये, अपने संग बारिश लाए। हवा संग इठलाते बादल, हवा संग ये पानी लाए। #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

White देख कर तुझको पहली बार,
मेरे दिल पर शामत आई थी।
मैं होश में कहाँ था उस वक़्त,
जज़्बातों में लहर सी आई थी।

सुध-बुध खोकर बैठा था मैं,
आँखों में चमक सी आई थी।
दुनिया की फिक्र किसको थी,
मेरी जान जाँ पर बन आई थी।

तेरे ही एहसासों में जीने का,
ये कैसी जुनून मुझपे छाई थी।
मैं, धड़कन और रूह ने मेरी,
दुनिया से नाता तोड़ आई थी।

मिलकर तुझसे ये एहसास हुआ,
तूने जिंदगी मेरी लौटाई थी।
डुबकर तुझमें ये एहसास हुआ,
मेरे दिल को सुकून सी आई थी।

तुम मुझसे दूर जाकर भी तुमने,
जीने का तरीका सिखलाई थी।
तुमसे बिछड़कर ये एहसास हुआ,
तेरी यादों में राहत सी आई थी।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status 
देख कर तुझको पहली बार,
मेरे दिल पर शामत आई थी।
मैं होश में कहाँ था उस वक़्त,
जज़्बातों में लहर सी आई थी।

सुध-बुध खोकर बैठा था मैं,
आँखों में चमक सी आई थी।

#Sad_Status देख कर तुझको पहली बार, मेरे दिल पर शामत आई थी। मैं होश में कहाँ था उस वक़्त, जज़्बातों में लहर सी आई थी। सुध-बुध खोकर बैठा था मैं, आँखों में चमक सी आई थी। #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

White रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कहीं बारिश तो ओले गिराए।
कहीं मिलन के फूल खिलाए,
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं,
कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी रुस्वाई से भरी रातें थीं,
तो कहीं जुदाई के आँसू बहाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी उम्मीदों का सूरज उग जाए,
कभी बगैर चाँद आसमान सुना हो जाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी सपनों को बहार मिली,
कभी उम्मीदों पर सितारे गिरे।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।
कभी पलकों पे मुस्कानें बिखरीं,
कभी दिलों पे ग़मों के छाए।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

कभी खुशियों का झरना बहा,
कभी ख़ामोशियाँ गूंजीं यहाँ।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।
कभी सर्द हवाओं में आग जली,
कभी गर्मी में बर्फ़ पिघली।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कहीं बारिश तो ओले गिराए।
कहीं मिलन के फूल खिलाए,
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या,
कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं,
कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई।
रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या।

#love_shayari रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कहीं बारिश तो ओले गिराए। कहीं मिलन के फूल खिलाए, रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या, कभी चारों तरफ़ बहारें छाईं, कभी जुदाई से भरी पतझड़ आई। रंग-मौसम ने दिखाए क्या-क्या। #wordporn #quoteoftheday #quotestagram #wordswag #wordsofwisdom #yourquote #qotd #कविता

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