Nojoto: Largest Storytelling Platform

घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, परिंदा हुं मैं आ

घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, परिंदा हुं मैं 
आकाश की उंचाई को छुने.  ,
रोज घर से निकलकर सपनो के पीछे उडता हुं
एक एक तिनका जोड़कर सपने  बुनता हुं 
आकाश को छूने के सपने लेकर 
घर से निकलकर
 घर। को  लौट आता हू। परिंदा
घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, परिंदा हुं मैं 
आकाश की उंचाई को छुने.  ,
रोज घर से निकलकर सपनो के पीछे उडता हुं
एक एक तिनका जोड़कर सपने  बुनता हुं 
आकाश को छूने के सपने लेकर 
घर से निकलकर
 घर। को  लौट आता हू। परिंदा

परिंदा #शायरी