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स्वार्थों से ही न ़़़ जब आराम आये। कौन फिर कैसे क

स्वार्थों से ही न ़़़ जब आराम आये।
कौन फिर कैसे  किसी के काम आये।
फिर दिखे उम्मीद की कोई किरण सी।
फिर वही सच का समय हो राम आये।
डा० प्रमोद शर्मा प्रेम नजीबाबाद बिजनौर

©Dr Parmod Sharma Prem
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