" कि तूनें भी एक दिया ही समझा, जब रात हुई, तो जला लिया, जब दिन निकला तो बुझा लिया.. तुम कहनें लगे थे, मेरे हो.. फ़िर किसी और को, कैसे ढुड़ लिया.. अब कैसे दुँ,ये चाँद- सितारें.. जब हक ही तूनें छींन लिया...." ©Monu Rajput #candle