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गर्दिश में सितारे और कोई पूछने वाला ही नहीं, खामोश

गर्दिश में सितारे और कोई पूछने वाला ही नहीं,
खामोश हैं सभी मेरे तमाशे पर कोई हंसने वाला ही नहीं।
नजरों से बयां होती है बाते अक्सर, 
कोई इशारे समझने वाला नहीं।
सारे ग़म मेरे हिस्से आए है, 
उसकी बेवफाई का मुझे कोई भी गिला नहीं।
इसमें उसका कोई दोष भी नहीं, 
क्या चांद को जमीन पर आते दिखा है किसी ने कभी।

©नवनीत ठाकुर #chaand  शायरी दर्द
गर्दिश में सितारे और कोई पूछने वाला ही नहीं,
खामोश हैं सभी मेरे तमाशे पर कोई हंसने वाला ही नहीं।
नजरों से बयां होती है बाते अक्सर, 
कोई इशारे समझने वाला नहीं।
सारे ग़म मेरे हिस्से आए है, 
उसकी बेवफाई का मुझे कोई भी गिला नहीं।
इसमें उसका कोई दोष भी नहीं, 
क्या चांद को जमीन पर आते दिखा है किसी ने कभी।

©नवनीत ठाकुर #chaand  शायरी दर्द