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इस बार यादों की संदूक में लगा आऊँगी आग, मिटाकर रिश

इस बार यादों की संदूक में लगा आऊँगी आग,
मिटाकर रिश्ते की सिलवटें,  हटा आऊँगी दाग़।
तोड़ कर ताला आज़ाद कर दूँगी वो पुराने पल,
भुला ज़ख़्म-दर्द, सुकून के खिला आऊँगी बाग़। ♥️ Challenge-622 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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इस बार यादों की संदूक में लगा आऊँगी आग,
मिटाकर रिश्ते की सिलवटें,  हटा आऊँगी दाग़।
तोड़ कर ताला आज़ाद कर दूँगी वो पुराने पल,
भुला ज़ख़्म-दर्द, सुकून के खिला आऊँगी बाग़। ♥️ Challenge-622 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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