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संतान की ख़ुशी के लिए वो क्या क्या कर गुज़र जाती ह

संतान की ख़ुशी के लिए वो क्या क्या कर गुज़र जाती है,
पढ़ लेती है सारे गम को पल में, हर दर्द  समझ
जाती है,
औलाद के सुख के लिए निर्जल व्रत भी रखती
जाती है, 
जान बसती है माँ की अपने बच्चों में
उनका थोड़ा सा भी दुःख वो कहा सह पाती है, 
दवा गर काम ना आए तो नज़र भी उतारती है...
ये माँ है साहब हार कहाँ मानती है....

©Nandini Sahoo happy जीवितपुत्रिका व्रत
संतान की ख़ुशी के लिए वो क्या क्या कर गुज़र जाती है,
पढ़ लेती है सारे गम को पल में, हर दर्द  समझ
जाती है,
औलाद के सुख के लिए निर्जल व्रत भी रखती
जाती है, 
जान बसती है माँ की अपने बच्चों में
उनका थोड़ा सा भी दुःख वो कहा सह पाती है, 
दवा गर काम ना आए तो नज़र भी उतारती है...
ये माँ है साहब हार कहाँ मानती है....

©Nandini Sahoo happy जीवितपुत्रिका व्रत

happy जीवितपुत्रिका व्रत