मलूवा बकरा दिखने में तू बड़ी कमाल है तेरा कबरा-चितरा रंग बवाल है बड़े लंबे-लंबे से ये तेरे बाल हीरनी जैसी तेरी लगती चाल देख मन को भा जाता है चेहरे पर खुशी छा जाता है जब-जब तू घांस चबाता है तेरे कान जमीन को छू जाता है इतने हैं तेरे ये लंबे कान मैं करूं इसकी पूरी बखान बड़ी खूब लगता है तू मलूवा तेरा रंग-बिरंगा सफेद कलूवा लोगों का कभी साथ छोड़ता अपनी मालिक की हाथ मरोड़ता खींचता तू भाग जाता है और किसी की फसल खाकर लड़ाई का आग लगाता है ऐसी कुछ है तेरी करनी जो लगती है बड़ी घिनौनी लेकिन ये तेरा रूप सलोना तेरी सारे दोष भूला देती है कवि--राहुल कुमार ©Rahul Kumar मलूवा बकरा