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आजादी के परवानों में, उसकी अजब रवानी थी। साँसों मे

आजादी के परवानों में, उसकी अजब रवानी थी।
साँसों में थी आग अनूठी, हर धड़कन बलिदानी थी।
हिन्दू कुल का गौरव था वह, पंडित कुल का ज्ञानी था।
मतवाला 'आजाद' परिंदा, खुद में एक कहानी था।।

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #चंद्रशेखरआज़ाद #कविता #मुक्तक #छंद

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