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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

जन्म स्थान-- लखनऊ शिक्षा -- एम.ए.,बी.एड. प्रकाशन एवं प्रसारण-- गीत संकलन: पुनः युधिष्ठिर छला गया है । साझा संकलन: कवितालोक:प्रथम उद्भास, गीतिकालोक,तेरी यादें, गुलदस्त-ए-ग़ज़ल, युवा उत्कर्ष काव्य संग्रह, भारत के प्रतिभाशाली रचनाकार,शुभमस्तु-3, नेह के महावर (गीत संग्रह), नयी पीढ़ी के गीत ( गीत संग्रह) परवाज़-ए-ग़ज़ल एवं दोहे के सौ रंग में रचनाओं के प्रकाशन सहित राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं, ई- पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन एवं दूरदर्शन पर रचनाओं का प्रसारण। सम्मान- हरिवंशराय बच्चन युवा गीतकार सम्मान-2021 (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), गीतिका गौरव सम्मान (कवितालोक सृजन संस्थान, लखनऊ), गीत श्री सम्मान ( साहित्य प्रोत्साहन संस्थान, मनकापुर गोंडा) स्व.इन्द्रदेव सिंह सम्मान (गहमर वेलफेयर सोसायटी,गहमर गाजीपुर), प्रतिभाशाली रचनाकार सम्मान-2016 ( जे. एम.डी पब्लिकेशन, दिल्ली), श्रेष्ठ ग़ज़लकार सम्मान (शब्दाकुंर प्रकाशन दिल्ली), काव्य श्री सम्मान (साहित्य सेवा संस्थान फैजाबाद), पंडित रविन्द्र नाथ मिश्र सम्मान ( अखिल भारतीय साहित्य उत्थान परिषद लखनऊ), गीतिका भूषण सम्मान ( साहित्य प्रोत्साहन संस्थान मनकापुर गोंडा), काव्य भारती सम्मान-2018 (श्री शतचण्डी महायज्ञ, पीर नगर, कमलापुर सीतापुर) गीतिका श्री सम्मान (श्रद्धेय गीतकार पंडित रामानुज त्रिपाठी संस्थान सुलतानपुर), अनागत मार्तण्ड सम्मान( अखिल भारतीय अनागत साहित्य संस्थान) सम्प्रति - प्रवक्ता, एस० आर० ग्लोबल स्कूल, बख्शी का तालाब, लखनऊ (उ.प्र.) विशेष-- उद्घोषक, आकाशवाणी लखनऊ (लोकायन,खेती किसानी) एवं रेडियो जंक्शन सम्पर्क - ग्राम - करौंदी, पोस्ट-इटौंजा, जनपद - लखनऊ पिन कोड- 226203 ईमेल - asmitdwivedi01@gmail.com ब्लॉग -smitdwivedi.wordpress.com फोन -- 7499776241, 8299494619 यू-ट्यूब-- https://youtube.com/@KavyaChaupal?si=JWKTrvOPCf3wxacl

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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

बज्जगफ भजकब्वघ नबगनब

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #ग़ज़ल #शायरी #कविता
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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

गीता का संकल्प तुम्हे हर युग में दोहराना होगा ।
धरती की पीड़ा हरने श्रीकृष्ण तुम्हें आना होगा ।।

जब-जब अत्याचार बढ़ेगा, बोला था तुम आओगे 
न्याय धर्म का ध्वज सदैव तुम अम्बर में फहराओगे 
द्वापर का विश्वास कर्म की सत्ता से लाना होगा ।

पुनः द्वेष के बीज विषैले, उगने को तैयार खड़े हैं 
अनाचार के खेत कटीले, बढ़ने को तैयार खड़े हैं 
पुनः धर्म के लिए सुदर्शन, कान्हा तुम्हे उठाना होगा ।

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #Janamashtmi2023
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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

चंचल-चंचल नेत्र तुम्हारे, 
                            सम्मोहन की हाला ।
रूप तुम्हारा प्रिये प्रकृति के, 
                          यौवन की मधुशाला ।

सांसों के झंकृत साजों से, 
                         जीवन भी गति पाते ।
प्रिये तुम्हारे भोले मन में, 
                         पत्थर भी घुल जाते ।

प्रेम ग्रंथ की अमर ऋचाएँ, 
                        रचते और सुनाते ।
अधर तुम्हारे जीवन को स्वर, 
                        दे देते मुस्काते ।

करुणा, दया क्षमा, के गहने, 
                       लाज तुम्हारा बाना ।
तुम जीवन की अमर शिखा हो, 
                       और जगत परवाना ।

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #चंचल_चंचल_नेत्र_तुम्हारे
#सार_छंद 
#कविता 

मनोज मानव दिनेश कुशभुवनपुरी कुमार अनुराग Karan Kumar Shaurya वरुण तिवारी सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र) Kalaa Vyas singer shailesh Tripathi Snehi Uks Sircastic Saurabh Sunny Mysterious Girl Madhusudan Shrivastava Mukesh Choudhary Gautam Smayra

चंचल_चंचल_नेत्र_तुम्हारे सार_छंद कविता मनोज मानव दिनेश कुशभुवनपुरी कुमार अनुराग Karan Kumar Shaurya वरुण तिवारी सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र) Kalaa Vyas singer shailesh Tripathi Snehi Uks Sircastic Saurabh Sunny Mysterious Girl Madhusudan Shrivastava Mukesh Choudhary Gautam Smayra

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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

पुरानी' कसमें… पुराने' वादे… पुराने' शिकवे…कमाल दे दे ।
मुझे मोहब्बत… का' ऐ मुसाफिर… वहीं पुराना… खयाल दे दे ।।

वो' तेरी' बातें… वो' तेरे चर्चे… वो' तेरे' जलवे… तुझे मुबारक…
मुझे हमारी… वो' सादगी के… पलों की जिन्दा… मिसाल दे दे ।।

न तोड़ पायी… जिसे कयामत…उसे जुदाई …ने' तोड़ डाला ।
बदल सके तो… बदल मुकद्दर …मुझे पुराना… वो' हाल दे दे । ।

तुझे सितारों… की' आरजू थी… तू' अपना' रोशन… नसीब ले जा ।
मुझे विखरते… नसीब से था… मलाल जो वो… मलाल दे दे ।।

कभी जो पूछे… थे' मिलके' हमने… सवाल बेहद… करीब आकर ।
हसीन लमहों… के' वो मुबारक… जवाब रख ले… सवाल दे दे ।।

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #जवाब_रख_ले_सवाल_दे_दे
#कविता #ग़ज़ल
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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

सौंप जो मुझको गये थे, क्षण कभी अनुराग के तुम 
मैं उन्हीं सुधियों के’ कोमल, गीत गाता चल रहा हूँ 
जब कभी विश्वास डोले, मीत मुड़कर देख लेना।।

कब भला आसान होता, आग साँसों की बुझाना। 
सागरों का नीर खारा, नित्य पीना, मुस्कुराना। 
किन्तु तुम लेकर गये थे, जो वचन उसके लिए ही, 
कहकहों में आँसुओं को, मैं छिपाता चल रहा हूँ 
जब कभी विश्वास डोले, मीत मुड़कर देख लेना।।

आँच पाकर कौन होगा, वृक्ष जो मुरझा न जाये।  
ओस के तपते कणों से, कोपलें कैसे बचाये। 
गर्भ में ज्वालामुखी है, और बहता सुर्ख लावा, 
पर सतह पर हिम नदी सा, गुनगुनाता चल रहा हूँ 
जब कभी विश्वास डोले, मीत मुड़कर देख लेना।।

कब बिना अनुमति तुम्हारी, फूल उपवन में खिला है। 
प्रेरणा हो या हताशा, जो मिला तुमसे मिला है। 
बुझ गया होता प्रणय आराधना उपरांत, लेकिन 
दीप हूँ संकल्प का मैं, तम मिटाता चल रहा हूँ 
जब कभी विश्वास डोले, मीत मुड़कर देख लेना।।

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #मीत_मुड़कर_देख_लेना #गीत #कविता
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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

मन तुम्हारा रोज बदले लाख कपड़े, ख्वाहिशों का तन छुपाये या सजाये। 
हम तुम्हारे दर्द में शामिल रहे थे, हम तुम्हारे दर्द में शामिल रहेंगे।।

लादकर सपनों की दुनिया चल पड़े हैं, इस धरा से उस गगन को जोड़ना है। 
एक झोंका सा उठा है आज मन में, रुख हवाओं का हमें ही मोड़ना है। 
आज कितनी भी विरोधी कोशिशें हों, या चुनौती दें हमारी वेदनाएँ 
बह चले हैं जिस दिशा में प्राण सत्वर, उस दिशा में हम निरन्तर ही बहेंगे।।

हाथ में लेकर तुम्हारा हाथ हमने, प्रेम के पन्ने हजारों पढ़ लिये थे। 
भावना की तान में अनुरक्त मन ने, छंद स्वप्नों के मनोहर गढ़ लिये थे। 
तुम भले कर दो उपेक्षित उन पलों को, अनसुनी कर दो हृदय की याचनाएँ 
किन्तु हम सम्भावना के गाँव जाकर, प्रश्न जो मन में पड़े हैं, सब कहेंगे।।

कुछ समय ने फाड़ डाले थे अचानक, कुछ टॅगे सुधियों की झोली में दिखे थे। 
खो गये वे पृष्ठ जीवन के कहाँ पर, कल जो हमने साथ में मिलकर लिखे थे। 
प्रेम के अवशेष भी अब क्या मिलेंगे, किन्तु यदि तुम चाहते हो तो नियत है 
हम समय की लाख परतें भी पलटकर, उन फटे पृष्ठों को चुनकर जोड़ देंगे।

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #दर्द_में_शामिल_रहेंगे
#कविता 
#गीत

मनोज मानव दिनेश कुशभुवनपुरी Dheeraj Srivastava Karan सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र) Sircastic Saurabh Snehi Uks Kumar Shaurya Nîkîtã Guptā Smayra Richa Chaubey

#दर्द_में_शामिल_रहेंगे #कविता #गीत मनोज मानव दिनेश कुशभुवनपुरी Dheeraj Srivastava Karan सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र) Sircastic Saurabh Snehi Uks Kumar Shaurya Nîkîtã Guptā Smayra Richa Chaubey #Poetry

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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

नदी के दोनों तट हैं मौन, सुना पर कानों ने सम्वाद। 
खुले जब बंद प्रणय के पृष्ठ, जगी तब महकी-महकी याद।।

हृदय के टुकड़े हुए अनेक, मिले अपनों से जब आघात। 
हुई जिस समय भोर से दूर, बिलख कर रोयी थी तब रात। 
चैन से सोते कैसे प्रश्न, तड़प कर जाग उठी फ़रियाद।।

तुम्हें यदि जाना ही था दूर, हुए क्यों अंतर्मन के पास। 
खिलाए क्यों निष्ठा के फूल, भुगतना था जब यों मधुमास। 
छलक आता आँखों में नीर, सिसकता फिर अन्तस का नाद।। 

लिखा विधि ने ये कैसा भाग्य, बताते नहीं, हुए क्यों रुष्ट? 
नहीं यदि मेरा प्रेम पुनीत, भला फिर किसका पावन पुष्ट? 
अभी तक चिन्तन में हूँ लीन, करूँ किससे, कैसे प्रतिवाद।।

सुना था खोना भी है रीति, न आया कुछ भी मेरे हाथ। 
किंतु आशा है अब भी शेष, मिलेगा पुनः तुम्हारा साथ। 
नहीं था कुछ भी तुमसे पूर्व, बचेगा शून्य तुम्हारे बाद।।

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #बचेगा_शून्य_तुम्हारे_बाद
#गीत 
#कविता
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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

दुश्मनों की बस्तियों में जलजला आ जायेगा ।
जब वतन की आबरू का मस'अला आ जायेगा ।
तू हमारी छोड़, खुद की पैरवी मजबूत कर..
जब भी हम चाहेंगे उस पल, फैसला आ जायेगा ।।

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #IndianArmy #कारगिल_विजय_दिवस
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RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

कलम जो स्वाभिमानी है, वो वन्दन गा नहीं सकती।
बनावट सत्य का चेहरा, कभी भी ला नहीं सकती।
भले लाखों मुखौटे लोग गढ़कर देख लें, लेकिन
मुहब्बत जब भी जाती है, दुबारा आ नहीं सकती।।

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
  #कलम #कविता #मुक्तक
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