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मेरे दुःखों ! क्षमा करना, मैं कर न सका सम्मान तुम्

मेरे दुःखों ! क्षमा करना,
मैं कर न सका सम्मान तुम्हारा।

कई    व्यस्ततायें   घेरे  थीं
मैं चुपचाप नहीं  रह  पाया
मेरे साथ बहुत कुछ ढहता
शायद तभी नहीं ढह पाया

यह सहने की क्षमताओं का
मिला  मुझे  वरदान  तुम्हारा ।

मुझे  राह  भी  पड़ी देखनी
कर न सका मैं लोचन गीले
नयन  बंद  करके  देखा तो
सारे   सपने   थे    पथरीले

क्या कर सकता हूँ यदि मुझ पर
ग़लत हुआ अनुमान तुम्हारा ।

जितने  आँसू  मिले  राह  में
मैंने   गली - गली   विखराये
कुछ मोती के भाव बिक गये
कुछ  के  गीत  बनाकर गाये

आँसू नहीं बहा पाया मैं 
रख न सका मैं ध्यान तुम्हारा !

- आकुल #ThepPoetsLibrary
मेरे दुःखों ! क्षमा करना,
मैं कर न सका सम्मान तुम्हारा।

कई    व्यस्ततायें   घेरे  थीं
मैं चुपचाप नहीं  रह  पाया
मेरे साथ बहुत कुछ ढहता
शायद तभी नहीं ढह पाया

यह सहने की क्षमताओं का
मिला  मुझे  वरदान  तुम्हारा ।

मुझे  राह  भी  पड़ी देखनी
कर न सका मैं लोचन गीले
नयन  बंद  करके  देखा तो
सारे   सपने   थे    पथरीले

क्या कर सकता हूँ यदि मुझ पर
ग़लत हुआ अनुमान तुम्हारा ।

जितने  आँसू  मिले  राह  में
मैंने   गली - गली   विखराये
कुछ मोती के भाव बिक गये
कुछ  के  गीत  बनाकर गाये

आँसू नहीं बहा पाया मैं 
रख न सका मैं ध्यान तुम्हारा !

- आकुल #ThepPoetsLibrary