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सुनसान दोपहरी में मैं तंग , सिरफिरा सा घूमता मैं म

सुनसान दोपहरी में मैं तंग ,
सिरफिरा सा घूमता मैं मलंग ।

मेरे हाथों में सिगरेट संग ,
धुएं में उड़ती इश्क की पतंग ‌।

मैं बस अकेला ना मेरे कोई संग ,
मेरी आंखों में तेरे सपनों की उमंग ।

चढ़ा हुआ है तेरे इश्क का रंग ,
मैं लुट गया हो गया काफिर नंग।

बेपरवाह सा घूमता हूं मैं मलंग ,
बेफिक्रा बोले दुनिया देखकर मेरे ढंग ।
🚬 सुनसान दोपहरी में मैं तंग ,
सिरफिरा सा घूमता मैं मलंग ।

मेरे हाथों में सिगरेट संग ,
धुएं में उड़ती इश्क की पतंग ‌।

मैं बस अकेला ना मेरे कोई संग ,
मेरी आंखों में तेरे सपनों की उमंग ।
सुनसान दोपहरी में मैं तंग ,
सिरफिरा सा घूमता मैं मलंग ।

मेरे हाथों में सिगरेट संग ,
धुएं में उड़ती इश्क की पतंग ‌।

मैं बस अकेला ना मेरे कोई संग ,
मेरी आंखों में तेरे सपनों की उमंग ।

चढ़ा हुआ है तेरे इश्क का रंग ,
मैं लुट गया हो गया काफिर नंग।

बेपरवाह सा घूमता हूं मैं मलंग ,
बेफिक्रा बोले दुनिया देखकर मेरे ढंग ।
🚬 सुनसान दोपहरी में मैं तंग ,
सिरफिरा सा घूमता मैं मलंग ।

मेरे हाथों में सिगरेट संग ,
धुएं में उड़ती इश्क की पतंग ‌।

मैं बस अकेला ना मेरे कोई संग ,
मेरी आंखों में तेरे सपनों की उमंग ।

सुनसान दोपहरी में मैं तंग , सिरफिरा सा घूमता मैं मलंग । मेरे हाथों में सिगरेट संग , धुएं में उड़ती इश्क की पतंग ‌। मैं बस अकेला ना मेरे कोई संग , मेरी आंखों में तेरे सपनों की उमंग ।