Nojoto: Largest Storytelling Platform

मेरी धमनियों से लहू सूख चुका है मेरे रीढ़ की हड्डी

मेरी धमनियों से लहू सूख चुका है 
मेरे रीढ़ की हड्डी झुक चुकी है 
मेरा पेट सिकुड़कर पीठ से चिपक चुका है 
मेरे सिर के पिछले हिस्से में दर्द ने घर कर लिया है 
मेरी आंखों का पानी जल रहा है 
मै अन्न क एक दाना भी नही निगल सकता 
मैं बहरा होता जा रहा हूँ  
मेरे शरीर में इतने घाव है कि 
हर एक घाव दूसरे घाव को जानता हैं 
इतनी यातना के बाद भी 
मैं नही मरूँगा 
मैं जीवित बच सकता हूँ
समाज से निकली बोली से
और 
बन्दूक से निकली गोली से भी 
पर एक रोज़
मैं मारा जाऊँगा 
इस भीड़-भाड़ भरी दुनिया में  
अकेलेपन से ll

©Manthan Srivastava #Vasant2022
#alone
मेरी धमनियों से लहू सूख चुका है 
मेरे रीढ़ की हड्डी झुक चुकी है 
मेरा पेट सिकुड़कर पीठ से चिपक चुका है 
मेरे सिर के पिछले हिस्से में दर्द ने घर कर लिया है 
मेरी आंखों का पानी जल रहा है 
मै अन्न क एक दाना भी नही निगल सकता 
मैं बहरा होता जा रहा हूँ  
मेरे शरीर में इतने घाव है कि 
हर एक घाव दूसरे घाव को जानता हैं 
इतनी यातना के बाद भी 
मैं नही मरूँगा 
मैं जीवित बच सकता हूँ
समाज से निकली बोली से
और 
बन्दूक से निकली गोली से भी 
पर एक रोज़
मैं मारा जाऊँगा 
इस भीड़-भाड़ भरी दुनिया में  
अकेलेपन से ll

©Manthan Srivastava #Vasant2022
#alone