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दिन रोज़मर्रा कामों में बीत जाती है रात अपनी तसव्व

दिन रोज़मर्रा कामों में बीत जाती है रात अपनी तसव्वुर में 
समझ से परे है ख़ुदा की रहमत, खुद के लिए कब सोचूं मैं

©अनुषी का पिटारा..
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