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जिंदगी इतनी जटिल क्यो है हर वक्त उलझी उलझी सी लोग

जिंदगी इतनी जटिल क्यो है
हर वक्त उलझी उलझी सी
लोग तराजू लिए जी रहा है
 हर बार मेरा पलड़ा नीचे झुकाहै
मानो सबसे बड़ा कर्जदार हूँ मैं
इतना गरीब क्यों हूं मैं
लेकिन सवाल किससे पूछुं
सबका उधार जो मुझ पे है
लगता ये सब ताउम्र चलेगा
समझ मे नही आता कि
जिन्दगी लंबी मांगू या फिर छोटी
क्योंकि लंबी हुई तो उधार बड़ा
और छोटी हुई चुकता नही होगा
इसी कस मकस में जी ले रहा
और एक दो चार दिन
हा दो चार और दिन

©ranjit Kumar rathour
  कसमकस 
#poetry manch

कसमकस poetry manch #कविता

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