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नए कपड़े नहीं आए, कोई खिलौना नहीं आया, मुफलिसी

नए  कपड़े नहीं आए, कोई  खिलौना नहीं आया,
मुफलिसी  इतनी  कि बच्चों को रोना नहीं आया,
मजबूरियों ने बचपन में ही बड़ा कर डाला इनको,
आँसुओ  के हिस्से, आँचल का कोना नहीं आया।

©RAVI Kumar
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