आदत सी है जनाब मुझे सबसे अलग रहने की, गलती की अनजानों की भीड़ में सबसे मिलने जुलने की। कुछ लोगो से बात हुई थी कभी, जिनका नाम भी शायद मुझे आज याद नहीं। पहचान लूं अगर इत्तेफाक से किसी को, अब इत्तेफाक ही है साहब;इसमें मेरी कोई गलती नहीं। #आदत सी है जनाब मुझे सबसे अलग रहने की, गलती की अनजानों की #भीड़ में सबसे मिलने जुलने की। कुछ लोगो से बात हुई थी कभी, जिनका नाम भी शायद मुझे आज याद नहीं। पहचान लूं अगर #इत्तेफाक से किसी को, अब इत्तेफाक ही है साहब;इसमें मेरी कोई #गलती नहीं।