मेहक जाता हुँ आज भी मैं तेरे अल्फ़ाज़ों की ख़ुशबुओं से, इल्म है मुझको नहीं है वो गुलिस्तां मेरा फ़कत मेरी हर याद में ज़िक्र है तेरा. ©avinashjha मेहक