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रौशनी बनने की चाहत में जो जलते गये जलते गये ख़ुद क

रौशनी बनने की चाहत में
जो जलते गये जलते गये
ख़ुद की राहों को अंधेरा कर
जो चलते गये चलते गये
मंजिल कब पीछे छूटा पता ना चला
जो बढ़ते गये बढ़ते गये
कब बिछड़ी खुशी कब गले लगी उदासी
जो दौड़ते गये दौड़ते गये
लुटाकर खुशी कभी तो समेट लेंगे
जो सोचते गये सोचते गये

©Suman singh Rajpoot
  #Suman Singh Rajput

#SUMAN Singh Rajput #हॉरर

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