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कुछ युं खामोश हुआ है मौसम ; के शोर भी बहुत है और

कुछ युं खामोश हुआ है मौसम ;
के शोर भी बहुत है 
और सुनाई भी नही दे रहा ।।

जर्रा जर्रा सा गुजर रहा है 
रूह को तड़पा तड़पा के 
पर अफसोस 
 रिहाई भी नही दे रहा ।।

नजर के समक्ष होता तो रोक लेते 
ये "गीत"
पर क्या करे ??? दिखाई भी नही दे रहा । 

कुछ युं खामोश हुआ है मौसम ;
के शोर भी बहुत है 
और सुनाई भी नही दे रहा ।।
✍गीत⚘
कुछ युं खामोश हुआ है मौसम ;
के शोर भी बहुत है 
और सुनाई भी नही दे रहा ।।

जर्रा जर्रा सा गुजर रहा है 
रूह को तड़पा तड़पा के 
पर अफसोस 
 रिहाई भी नही दे रहा ।।

नजर के समक्ष होता तो रोक लेते 
ये "गीत"
पर क्या करे ??? दिखाई भी नही दे रहा । 

कुछ युं खामोश हुआ है मौसम ;
के शोर भी बहुत है 
और सुनाई भी नही दे रहा ।।
✍गीत⚘