Nojoto: Largest Storytelling Platform

पूज्य आचार्यश्री _कंकर पत्थर धरती अम्बर_

पूज्य आचार्यश्री 

_कंकर पत्थर धरती अम्बर_
           _देख रहे होकर के मौन।_
_नहीं देखता पद छालों को_
         _चले निरंतर पथिक ये कौन।_
_धूप बेचारी बड़ी अचंभित_
       _विस्मयभर बोली कर जोर।_
_इन सम दूजा नहीं तपस्वी_
           _घूम आई मैं चारों ओर।_
_भाँप सभी की मनोदशा तब_
           _चंद्रगिरि से उठी बयार।_
_बोली सबको पास बुलाकर_
            _यही हमारे पालनहार।_
_मुक्तिरमा को वरने निकले_
         _सिद्धशिला है जिनका धाम।_
_वर्तमान के महावीर हैं_
       _श्री विद्यासागर जिनका नाम।_

©वैभव जैन #पुज्य आचार्य श्री

#पुज्य आचार्य श्री

27 Views